जनवरी में ही पूरा होना था प्रोजेक्ट, अब जुुलाई-अगस्त तक जा सकता है
स्काईवॉक का काम छह माह लेट, ठेकेदार को एक नोटिस तक नहीं, धूल-जाम से बेहाल
दिखावे के लिए रोड पर खड़ी कर दी है बिगड़ी हुई मशीन। जनवरी में ही पूरा होना था प्रोजेक्ट, अब जुुलाई-अगस्त तक जा सकता है।
शास्त्री चौक पर बन रहे राज्य के पहले स्काईवॉक के काम में लगातार देरी हो रही है। इसे बनाने वाली एजेंसी की देरी का खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है। शास्त्री चौक के चारों दिशाओं की सभी मुख्य सड़कों पर रोजाना ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है। धूल उड़ने की परेशानी सो अलग। कुछ दिन तक कंपनी ने धूल कम करने के लिए पानी छिड़का था, लेकिन अब बंद कर दिया गया है।
पीडब्ल्यूडी से हुए करार के मुताबिक स्काईवॉक का काम जनवरी में पूरा हो जाना था, लेकिन तक यह आधा भी नहीं बना है। ताज्जुब यह कि पीडब्ल्यूडी के आला अफसर और इंजीनियर सब-कुछ जानते हैं, लेकिन एजेंसी को एक नोटिस तक नहीं दिया गया है। यही वजह है कि एजेंसी अपनी मर्जी से काम कर रही है। स्काईवॉक का काम शुरू होने के बाद इसके डिजाइन में बदलाव किए गए। इसके चलते इसकी लागत अब 4 करोड़ रुपए से बढ़कर 46 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। जो फीचर्स जोड़े गए हैं, उनमें से कई का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
स्काईवॉक बनाने वाली कंपनी जीएस एक्सप्रेस के पास काम करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। केवल अफसरों को दिखाने के लिए कई जगहों पर बिगड़ी हुई मशीनें खड़ी कर दी गई हैं। पिलर बनाने के लिए ड्रिल करने वाली कंडम मशीन इन दिनों शास्त्री चौक पर रेरा दफ्तर के सामने खड़ी है। सूत्रों के मुताबिक इस मशीन को बनाने में काफी वक्त और पैसा लगेगा। इस मशीन के बिगड़ने से काम रुक गया है। अब कब तक उसे बनवाया जाएगा, कुछ पता नहीं है।
स्काईवॉक का काम मुख्य सड़कों को छोड़कर अभी किसी भी हिस्से में नहीं किया जा सका है। इन रोड पर ट्रैफिक पिछले छह महीने से बुरी तरह प्रभावित है। यहां की धूल आसपास के घने आबादी में फैल रही है, इसे भी नहीं रोका जा सका। अधूरे काम के बाद भी स्काईवॉक के खड़े हो चुके पिलरों पर चित्रकारी कर दी गई है, जो अब धूल से बदरंग हो गए हैं।
दिखावे के लिए रोड पर खड़ी कर दी है बिगड़ी हुई मशीन। जनवरी में ही पूरा होना था प्रोजेक्ट, अब जुुलाई-अगस्त तक जा सकता है।
शास्त्री चौक पर बन रहे राज्य के पहले स्काईवॉक के काम में लगातार देरी हो रही है। इसे बनाने वाली एजेंसी की देरी का खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है। शास्त्री चौक के चारों दिशाओं की सभी मुख्य सड़कों पर रोजाना ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है। धूल उड़ने की परेशानी सो अलग। कुछ दिन तक कंपनी ने धूल कम करने के लिए पानी छिड़का था, लेकिन अब बंद कर दिया गया है।
पीडब्ल्यूडी से हुए करार के मुताबिक स्काईवॉक का काम जनवरी में पूरा हो जाना था, लेकिन तक यह आधा भी नहीं बना है। ताज्जुब यह कि पीडब्ल्यूडी के आला अफसर और इंजीनियर सब-कुछ जानते हैं, लेकिन एजेंसी को एक नोटिस तक नहीं दिया गया है। यही वजह है कि एजेंसी अपनी मर्जी से काम कर रही है। स्काईवॉक का काम शुरू होने के बाद इसके डिजाइन में बदलाव किए गए। इसके चलते इसकी लागत अब 4 करोड़ रुपए से बढ़कर 46 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। जो फीचर्स जोड़े गए हैं, उनमें से कई का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
स्काईवॉक बनाने वाली कंपनी जीएस एक्सप्रेस के पास काम करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। केवल अफसरों को दिखाने के लिए कई जगहों पर बिगड़ी हुई मशीनें खड़ी कर दी गई हैं। पिलर बनाने के लिए ड्रिल करने वाली कंडम मशीन इन दिनों शास्त्री चौक पर रेरा दफ्तर के सामने खड़ी है। सूत्रों के मुताबिक इस मशीन को बनाने में काफी वक्त और पैसा लगेगा। इस मशीन के बिगड़ने से काम रुक गया है। अब कब तक उसे बनवाया जाएगा, कुछ पता नहीं है।
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