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हमर छत्तीसगढ़: घुंचापाली की आदिशक्ति चण्डी माता मंदिर बागबाहरा, महासमुंद


चंडी माता मन्दिर महासमुंद जिला अंतर्गत ग्राम बागबाहरा के समीप घुंचापाली में स्थित है। ग्राम बागबाहरा चारो ओर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। चारो ओर से जंगलो और पहाड़िओ से घिरे ग्राम में विराजमान है स्वयंभू माँ चंडी। माता चंडी रूप देखते ही बनता है लगभग 9 फ़ीट ऊंची माँ की विशालकाय भूगर्भित प्रतिमा जो निरंतर बढ़ रही है, स्वयं में अद्वितीय है। मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है माँ चंडी का मंदिर जिला महासमुंद से 38 km की दुरी पर स्थित है।


पहाड़ी पर चढ़ने हेतु सीढ़ियों की कोई आवश्यकता नहीं है लंबे ढलान के होने से चढ़ाई अत्यंत सुगम हो जाती है अतः बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगो जिन्हे सीढिया चढ़ने में कोई तकलीफ हो वे भी माँ के दर्शन हेतु जा सकते है। मंदिर की बनावट बहुत सुन्दर है, यहाँ बटुक भैरव, महावीर हनुमान जी, गुफा के अंदर स्थित माँ काली व शिव जी की मंदिर दर्शनीय है। जंगलो में जंगली जानवर भी है।



माता की विशाल मंदिर में प्रवेश करने पर माता की भूगर्भीत विशाल काय प्रतिमा और माता के बड़े बड़े नेत्रो के जैसे आप दर्शन करोगे रोम रोम पुलकित को जाता है। माता की विशाल प्रतिमा से निगाहे नहीं हटती है। ऐसा लगता है की माता रानी सभी भक्तो को अपने पास बुला रही हो । माता से सच्ची मन से मांगी मुराद जरूर पूरी होती है। माँ चंडी से जुडी एक और खास बात यह भी है की माँ की प्रतिमा निरंतर बढ़ रही है। मंदिर ट्रस्ट कई बार मंदिर को बना चूका है पर माँ कुछ ही सालो में माँ छत को छू जाती है और मंदिर फिर से तोडना पड़ता है। वर्त्तमान में माँ की प्रतिमा लगभग 9 से 10 फिट ऊची है।


प्रत्येक वर्ष की दोनों नवरात्री में यहाँ लोगो का तांता लगता है मंदिर में लगभग 8000 से 10000 ज्योत हर नवरात्री में श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति हेतु जलाते है। पुरे नौ दिनों तक दिनरात विभिन्न आयोजनो और सेवागीतों की प्रस्तुति होती है तथा भंडारों का आयोजन होता है। मंदिर के सामने विशाल ज्योति कक्ष है जिसमे नवरत्रि के समय भारी मात्रा में मनोकामना ज्योति जलाये जाती है । इस ज्योति कक्ष कुछ ज्योति हमेशा जलती रहती है (भक्तजन ज्योति कक्ष की परिक्रमा करते है ) उसके समीप एक विशाल भवन है जो माता रानी की भक्तो के विश्राम तथा धार्मिक कार्य के लिए बनाया गया है । जिसमे भक्त विश्राम कर सकते है।


हवन कार्य के लिए बड़ा सा हवन कुंड मंदिर प्रांगण में बना हुवा है। और साथ साथ बड़े से चट्टान में विशाल नगाड़ा का चिन्ह बनाया गया है जो पुरे परिसर को चार चार लगा देता है मंदिर परिसर के पीछे छोटे उद्यान का निर्माण किया गया है उसी के रास्ते पर लगभग 2 की. मी. पहाड़ की चोटी पर छोटी चंडी माता विराज मान है।

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यहाँ पर मुख्य मंदिर से ऊपर पहाड़ पर जो लगभग 2 कि. मी छोटी चंडी माता है जो सुन्दर गुफा के अन्दर विराजमान है। मंदिर के नजदीक में एक प्राचीन कुआ है। लोग कहते है की कुए  का पानी माता की आशिर्वाद से कभी नहीं सूखता है। इसके निर्मल जल को लोग बड़ी श्रद्धा के साथ जल को ग्रहण करते है।



विशेष: यहाँ पर माता की जैसे आरती की घंटी बजती है माता के दरबार में भालू प्रसाद के लिए आते है, इन भालुओ ने आज तक किसी को कोई नुकसान नही पहुचाया है इसे माता का चमत्कार भी कहा जाता है।




पास में ही जुनवानी ग्राम पर एक अति प्राचीन महाभारत कालीन एक समतल चारो तरफ से चट्टान से घिरा हुवा पठारी मैदान है जिसमे एक शिव मंदिर है और नागिन का पत्थर में परिवर्तीत एक लंबा सा पत्थर है जिसे बीच -बीच से काटा हुवा मालूम पड़ता है (जिसे नागिन का पत्थर कहा जाता है वही समीप में चट्टान है जिसमे पत्थर में प्रहार करने पर चट्टान से विशेष प्रकार की ध्वनि निकलती है, जो वहाँ का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। उस पठारी मैदान को नागिन पठार कहा जाता है उसे भी एक बार देखते हुवे वहा से प्रस्थान करना चाहिए ।

चंडी माता मंदिर कैसे पहुंचे 

सड़क से: पहाड़ी के ऊपर स्थित है माँ चंडी का मंदिर जिला महासमुंद से 38 km की दुरी पर स्थित है। मंदिर तक जाने हेतु सड़क मार्ग के साथ साथ रेलमार्ग की भी सुविधा है।

ट्रैन से: बागबाहरा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी 4 km है।

फ्लाइट से: निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा है जो घरेलू उड़ानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।


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