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बीजेपी ने कहा 'चलो पलटाई', जनता ने पलटी 25 साल पुरानी 'सरकार'

त्रिपुरा की राजनीति में बीजेपी ने सीधे शून्‍य से सत्‍ता तक का शिखर तय किया है। शुरुआती रुझानों के मुताबिक बीजेपी को स्‍पष्‍ट बहुमत मिला है। बीजेपी ने त्रिपुरा में 'चलो पलटाई' (चलो करते हैं बदलाव) का नारा दिया था। बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की सधी रणनीति और पीएम मोदी के आक्रामक चुनावी अभियान के बूते बीजेपी ने रुझानों के मुताबिक इतिहास रच दिया है।

मोदी लहर

2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पहली बार त्रिपुरा में सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट मिले। उसके बाद से बीजेपी के सियासी ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली। उसके बाद से पार्टी ने यहां लगातार अपने कैडर को बनाने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। राज्‍य के आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी ने अच्‍छी पकड़ बनाई।
60 में से करीब 25 सीटों पर प्रभावी भूमिका निभाने वाले आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी की बढ़ती पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नरेंद्र मोदी ने सोनामुरा रैली के जरिये बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया तो उसमें उपस्थित भारी भीड़ ने इसका अहसास कराया कि अबकी बार बीजेपी यहां मजबूत होकर उभरेगी। शुरुआती रुझान इस अनुमान पर अपनी मुहर लगाते दिख रहे हैं।

माणिक सरकार की छवि काम नहीं आई

इसके साथ ही पिछले दो दशकों से त्रिपुरा की सत्‍ता के निर्विवाद चेहरा रहे माकपा(सीपीएम) नेता मुख्‍यमंत्री माणिक सरकार इस बार अब तक की सबसे कड़ी सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं। वैसे तो माकपा का शासन त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से हैं और माणिक सरकार 1997 से राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं लेकिन इस बार उनको पहली बार बीजेपी के रूप में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की सूबे की सत्‍ता से साफ होने और उसकी जगह पिछली बार तृणमूल कांग्रेस के उभार लेकिन बाद में आंतरिक टूट-फूट का सीधा लाभ बीजेपी को मिला। इसलिए इस बार त्रिपुरा में पहली बार सीधी लड़ाई माकपा के नेतृत्‍व में वाम मोर्चे और बीजेपी के बीच हुई है।

कांग्रेस

इन सबके बीच त्रिपुरा में कांग्रेस का प्रदर्शन कोई खास नहीं दिख रहा है। राहुल गांधी के प्रचार के बावजूद कांग्रेस बड़ी मुश्किल से केवल एक सीट पर बढ़त बनाती दिख रही है। 

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