हमर छत्तीसगढ़ : मौली माता मंदिर फिंगेश्वर का शाही दशहरा
बस्तर दशहरे की तरह फिंगेश्वर का शाही दशहरे की अपनी अलग पहचान है। यह दशहरा भी मौली माता की पूजा अर्चना के बाद यहाँ के शाही राजा इस त्यौहार की शुरुआत करते है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। मौली माता का ऐतिहासिक मंदिर गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखंड में स्थित है। राजधानी रायपुर से फिंगेश्वर लगभग 60 KM दूर है।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता व पुजारी सोभा राम भंडारी के अनुसार फिंगेश्वर के राजा ठाकुर दलगंजन सिंह यात्रा में जा रहे थे तभी अचानक हमलावरों ने आक्रमण कर दिया वाही मौली माता एक बुढ़िया के रूप में आयी वहां राजा ठाकुर दलगंजन सिंह हमलावरों से घिर गए थे तब उन्हें अचानक माता जी का साक्षात्कार हुआ।
माता जी की कुछ इशारा पाते ही वह उठ खड़े हुए और युद्ध में विजयी हुए। तब राजा ने माता के पास जाकर प्रणाम कर वापिस महल की ओर आने लगे माता भी वृद्धा का रूप लेकर राजा के पीछे पीछे आने लगी तब राजा दलगंजन सिंह को अदृश्य शक्ति का अनुभव हुआ। राजा के निवेदन पर माता जी सांग में बैठ कर राज महल आयी | वह आदर सम्मान पूर्वक माता की पूजा पाठ की।
Mauli Mata Temple, Fingeshwar |
फिंगेश्वर का राज शाही दशहरा
फिंगेश्वर राज का राजशाही दशहरा बस्तर दशहरा की तरह मौली माता की पूजा अर्चना के बाद होती है। राजा द्वारा अस्त्र - शस्त्र व पंच मंदिरों की पूजा परिक्रमा के बाद राज शाही परिधान में राज महल के वंशज नगर भ्रमण क्षेत्र वाशियों को दर्शन देते है. फिंगेश्वर दशहरा अंचल में विख्यात है जहाँ दूर दराज से आम जनता की भीड़ लगी रहती है। पुलिस प्रशासन की व्यवस्था के बीच राज शाही दशहरा मानते है।
मौली माता मंदिर फिंगेश्वर कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से: राजधानी रायपुर से राजिम 40 KM दूर है। उसके बाद राजिम से फिंगेश्वर 17 KM की दुरी पर महासमुंद मार्ग में स्थित है जहाँ बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध है।
ट्रेन से: निकटतम रेलवे स्टेशन रायपुर है। यहाँ से फिंगेश्वर जाने के लिए बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध है।
फ्लाइट से: निकटतम एयरपोर्ट रायपुर है जो डोमेस्टिक फ्लाइट से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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