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हमर छत्तीसगढ़ : तथ्य जो बतातें हैं घासीदास संग्रहालय का इतिहास


रायपुर शहर में घड़ी चौक के करीब सबसे पुराना संग्रहालय हैं। जहां पर कई ऐतिहासिक प्रतिमाएं है। देश के प्रमुख संग्रहालयों में एक घासीदास संग्रहालय (Ghasidas Museum) भी शामिल है। जिसकी पहचान राज्य के अलावा देश में भी है। इस संग्रहालय को राजनांदगांव के राजा घासीदास ने अपने नाम पर बनवाया था। यहां पुराने हथियार से लेकर पुराने गानों की कैसेट्स भी रखी हुई है, जाे आज भी शहर के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। राजपरिवार से जुड़ा है इतिहास, पुराने गानों के रिकॉर्ड और अन्य एेतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया गया है।

1875 में महंत ने बनाया संग्रहालय, यहां प्रतिमाएं और हथियार रखे

1. यह संग्रहालय वह संस्थान है, जो ऐतिहासिक सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व के पुरा वस्तुओं और अन्य कला वस्तुओं के संग्रह की देखभाल संरक्षण करता है।
2. सन 1875 ईसवीं में रायपुर के इस संग्रहालय की स्थापना एक उल्लेखनीय घटना थी। राजनांदगांव के राजा घासीदास ने अष्टकोणीय भवन का निर्माण कर इसे संग्रहालय बनाया। भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में इसकी गणना होती है।

3. सन 1953 ईसवीं में नवीन संग्रहालय भवन का निर्माण किया गया। इसका शिलान्यास भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया। रानी जायंती देवी ने महंत घासीदास को स्मृति में डेढ़ लाख रुपए दिए।

4. संग्रहालय मे सैंकड़ों प्रतिमाओं का संग्रह है। दैनिक जीवन में उपयोगी प्राचीन सामग्री भी यहां है। उत्कीर्ण शिलालेख भी यहां अंचल का इतिहास बतलाते हैं। प्राचीन राजवंशो के दुर्लभ सिक्के संग्रहित हैं।

5. जनजातीय दीर्घा में विभिन्न जनजातियों के जीवनशैली के साथ दैनिक उपयोग की चीजें संग्रहित है। युद्धक हथियार धनुष-बाण, तलवार, ढाल और बंदूक भी यहां है। पुराने गानों के ऑडियो कैसेट्स और प्लेयर भी अनुवाद म्यूजिक लाइब्रेरी में संग्रहित है। 

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