राजधानी रायपुर के बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना चार सौ साल पहले यहां के आदिवासी किया करते थे। आदिवासी समाज भोलेनाथ को बूढ़ादेव के स्वरुप में ही पूजता आ रहा है।
कहा जाता है कि इस मंदिर की जिम्मेदारी 1923 से रायपुर पुष्टिकर समाज कर रहा है।विक्रम संवत् 2009 अर्थात आज से 63 साल पहले ही इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार करके इसे नया रूप दिया गया है। मंदिर परिसर में अन्य मंदिर जैसे हनुमान जी, गायत्री माता, नरसिंह भगवान, राधाकृष्ण, संतोषी माता अौर काल भैरव के मंदिर भी है। यहां प्रतिदिन सुबह साढ़े 5 बजे अौर शाम साढ़े 7 बजे आरती की जाती है। इस मंदिर में भोलेनाथ को प्रतिदिन दोपहर 12 बजे भोग लगता है।
यहां प्रत्येक रविवार सहस्त्रघट जलधारा का अभिषेक किया जाता है। भोलेनाथ के सहस्त्रघट अभिषेक में पवित्र नदियों का जल मंगवाया जाता है, इसमें रायपुर की जीवनदायिनी कही जाने वाली खारुन नदी, राजिम के त्रिवेणी संगम सहित गंगा और नर्मदा के पवित्र जल से अभिषेक किया जाता है। कहा जाता है कि एक बड़े ड्रम में सभी स्थानों के पवित्र जल को मिलाकर मिट्टी के घड़ों में भरकर महादेव का सहस्त्रघट अभिषेक करते हैं। साथ ही दुग्धाभिषेक भी किया जाता है।
मंदिर में ऐसी व्यवस्था कि गई है कि निरंतर अभिषेक से श्रृंगार खराब न हो सके। यहां भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, बेलफल, कनेर, आखड़े के पुष्पों की माला, भूप, दीप, आगरबत्ती, नारियल आदि अर्पित किए जाते हैं।
मंदिर ट्रस्ट ने साल 2015 में शुरू की परंपरा, कल होगी 131वीं आरती
उज्जैन के महाकाल की तरह राजधानी रायपुर के बूढ़ेश्वर महादेव में भी भस्म आरती की जा रही है। ऐसा पिछले 2 सालों से हो रहा है। इस सोमवार बूढ़ेश्वर महादेव में भोले की 131वीं भस्म आरती की जाएगी। छत्तीसगढ़ का यह पहला मंदिर है, जहां भस्माभिषेक की शुरूआत की गई है। उज्जैन की इस परंपरा को छत्तीसगढ़ में शुरू करने पर मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भस्म आरती का दर्शन लाभ पहुंचे इसलिए इसे यहां शुरू किया गया।
पंजीयन नहीं, हर किसी को मिलेगा लाभ
बूढ़ेश्वर महादेव की भस्म आरती में शामिल होने के लिए किसी तरह के पंजीयन की जरूरत नहीं है। हर व्यक्ति को इस पूजा का लाभ मिल सके इसलिए इसकी शुरूआत की गई है। किसी भी सोमवार को भक्त इसमें शामिल हो सकते हैं।
आप भी हो सकते हैं शामिल
धर्म शास्त्रों में महादेव की भस्म आरती को काफी फलदायी बताया गया है। कोई भी पुरुष बूढ़ेश्वर महादेव में होने वाली भस्म आरती में शामिल हो सकता है। इसमें शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं को किसी भी सोमवार की सुबह 5 बजे धोती के साथ बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर पहुंचना होगा। मंदिर परिसर में ही उन्हें स्नान करवाया जाएगा। इसके बाद पंडित मंत्रोच्चार कर पूजा में शामिल होने वाले भक्त का शुद्धीकरण करेंगे। महादेव की भस्म आरती में शामिल हो सकता है।
उज्जैन महाकाल की भस्म आरती इंसानों की चिता से निकले राख से की जाती है। मंदिर के ट्रस्टियों का कहना है कि रायपुर में चिता की राख मिलना मुश्किल था। इसे देखते हुए रामेश्वरम् से आरती के लिए भस्म मंगवाई जाती है। हर अभिषेक और आरती में भस्म की 7 डिब्बियां लगती हैं। भस्म आरती के लिए पैसे मंदिर ट्रस्ट के खजाने से न निकालकर निजी मद से व्यय किए जाते हैं।
आरती में महिलाएं नहीं होतीं शामिल
भस्म आरती में महिलाएं शामिल नहीं होतीं। ऐसी मान्यता है कि भस्माभिषेक और भस्म आरती के वक्त भगवान शिव निर्वस्त्र होते हैं। इसी वजह से उज्जैन के महाकाल में भी आरती के वक्त महिलाओं का प्रवेश वर्जित किया गया है। उज्जैन के नियमों का पालन करते हुए यहां भी महिलाओं को भस्म आरती से दूर रखा जाता है।
बुद्धेश्वर महासव मंदिर कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से : राजधानी रायपुर के ह्रदय स्थल घडी चौक से 20 कि मी दूर पुरानी बस्ती में स्थित है। यहाँ पहुंचने के लिए सिटी बस और ऑटो उपलब्ध है।
ट्रैन से : निकताकतम रेलवे स्टेशन रायपुर मैं रेलवे स्टेशन है। यह मंदिर स्टेशन से 30 कि मी दूर स्थित है।
फ्लाइट से : निकटतम एयरपोर्ट विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर है।
घड़ी चौक से 5किमी की दूरी भी नही है न ही स्टेशन से 30 किमी है,
ReplyDeleteघड़ी चौक से लगभग 4 और स्टेशन से लगभग 6 किमी की दूरी पर यह प्रसिद्ध मंदिर स्थित है,भगवान भोलेनाथ की जय।।
Thank you to suggest us we will soon correct the distance.
ReplyDeletesuaritma servisi &
ReplyDeletepetek temizleme &
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