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शहीद स्मारक भवन: 1857 की क्रांति के 700 सेनानियों और शहीदों के नाम दीवारों पर हैं दर्ज


शहर के ह्दय स्थल की पहचान में शहीद स्मारक भवन का इतिहास भी पुराना है। इस भवन को बेहद अलग ही रूप में आकार दिया गया है। इस भवन की खासियत यह है कि यहां सन 1857 की क्रांति के सेनानियों के नाम उल्लेख किए गए है, जो शहर के इतिहास के लिए गवाह बना हुआ है। शहर के बीचों-बीच यह स्मारक सबसे बड़ा भवन माना जाता है। इसलिए यहां तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इसके निर्माण के लिए संयुक्त मध्यप्रदेश के सीएम पुनाजा ने रखा आधार स्तंभ

1. रायपुर की विशेष पहचान में शहीद स्मारक भवन जीई रोड में स्थापित की गई है। इस भवन से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशजों का भावनात्मक लगाव है।

2. सन 1981 में भवन निर्माण के लिए संयुक्त मध्यप्रदेश के सीएम पुनाजा ने स्तंभ आधार रखा। इस भवन का निर्माण एक करोड़ 18 लाख रुपए में हुआ। इस भवन का गुंबद बेहद ही आकर्षक है। इसे नागपुर के कारीगरों की सहायता से बनाया गया है। इसका डिजाइन प्रसन्न कोठारी ने किया है।

3. शहीद स्मारक भवन में अंचल में शहीद हुए लोगों का नाम उल्लेखित है। संगमरमर पर 700 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम लिखे हैं। इसके अलावा सन 1857 की क्रांति के दौरान शहीद हुए लोगों का नाम भी यहां लिखा हुआ है।

4. स्मारक भवन के पास ही बड़ी लाइब्रेरी बनाने की योजना थीं, लेकिन बाद में लाइब्रेरी को भवन में ही शिफ्ट कर दिया गया। जहां आज भी लोग आकर लाइब्रेरी में पढ़ाई करते है।

5. इस भवन के निर्माण में 5 लोगों का नाम सबसे ऊपर है। निर्माण समिति में कमल नारायण शर्मा, हरि ठाकुर, नारायण राव अंबिलकर, नारायण दास राठौर, मोतीलाल त्रिपाठी, धनीराम वर्मा थे। वर्तमान में यह भवन निगम के अधीनस्थ है। इसके आय-व्यय का हिसाब भी निगम ही रखता है।

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