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छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य : वृत्ताकार किया जाता है करमा नृत्य


करमा नृत्य छत्तीसगढ़ का लोक मांगलिक नृत्य है। प्रदेश में इसकी झूमर, लंगड़ा, ठाढ़ा, लहकी और खेमटा शैलियां प्रचलित हैं। इस नृत्य में संगीत के लिए मांदर और झांझ-मंजीरा का प्रमुखता से प्रयोग होता है। नर्तक मयूर पंख का झाल पहनता है, पगड़ी में मयूर पंख के कांड़ी का झालदार कलगी लगाता है। इस नृत्य में राग के अनुरूप ही नृत्य की शैलियां बदलती हैं।

इसमें गीता के टेक, समूह गान के रूप में पदांत में गूंजता है। मांदर और झांझ की लय-ताल पर नर्तक लचक-लचक कर भांवर लगाते, हिलते-डुलते, झुकते-उठते हुए वृत्ताकार नृत्य करते हैं।


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