राजधानी रायपुर में अकेले रह रहे बुजुर्ग दंपती को अपनी सुरक्षा और देखभाल के लिए अब जरा भी चिंता नहीं रही है क्योंकि शहर के कुछ युवा रोजाना फोन या मुलाकात के जरिये उनका हाल जानते रहते हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें हॉस्पिटल लाना ले जाना और अन्य कामों में मदद भी करते हैं।
दरअसल इन बुजुर्गों के बच्चे नौकरी या बिजनेस के चलते विदेश या देश के अलग-अलग हिस्सों में शिफ्ट हो गए हैं, इसलिए कोई करीबी शख्स नहीं है जो इनकी देखभाल कर सके। इसलिए यह जिम्मेदारी उठाई है राहुल शर्मा और उनके ही कुछ युवा साथियों ने। राहुल बताते हैं 'आस-पड़ोस में कुछ बुजुर्ग दंपती अकेले रह रहे थे, इन सभी से घर जैसे संबंध हैं। कई बार उन्हें समस्याएं आतीं थी। परिजनों के कहने पर मैं उनका काम कर देता था। अक्सर घर जाकर उनका हाल-चाल पूछता। इससे उनका अकेलापन भी दूर हो जाता था अौर उनकी सेवा से मुझे भी सुकून मिलता।
बड़ा हुआ तो दोस्तों से इस संबंध में चर्चा होती रहती थी। उनके भी कुछ बुजुर्ग परिचितों को ऐसी ही समस्या आती थी। सभी की सहमति से हमने एक संस्था की शुरुआत की जो अकेले रह रहे बुजुर्ग दंपतियों की देखभाल और मदद करे। 20 लोगों से शुरु हुई 'ब्राम्हण युवा पहल' के आज करीब 700 सक्रिय सदस्य हैं।
इनमें 60 महिलाएं-युवतियां भी शामिल हैं।' राहुल के अन्य साथी बताते हैं 'देश-विदेश में बुजुर्गों के एकाकीपन की समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है। पर हम शहर के स्तर पर कुछ कर सकें इसलिए ये पहल की। फिलहाल हम 10 बुजुर्ग दंपतियों की नियमित तौर पर मदद कर रहे हैं।' राहुल बताते हैं, 'डेढ़ साल पहले बनी हमारी सामाजिक संस्था रक्तदान, एम्बुलेंस व शव वाहन जैसी सेवाएं दे रही है।
रोहिणीपुरम में रहने वाले घनश्याम और भारती मिश्रा ने बताया 'उनके बेटे यूएस में रहते हैं। राहुल और उनके साथी हमेशा मदद करते हैं। किसी भी समय फोन करने पर वे आ जाते हैं। हॉस्पिटल जाना हो या दवा और सामान मंगाना हो, वे तत्काल लाकर देते हैं। इससे हमें बच्चों की कमी महसूस नहीं होती।'
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