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हमर छत्तीसगढ़ : 32 खम्भों पर टिका है बारसूर का अनोखा बत्तीसा मंदिर


बत्तीसा मतलब बत्तीस – 32 इस मंदिर में 32 स्तम्भ हैं। दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से 31 किमी दूर बारसूर का ऐतिहासिक बत्तीसा मंदिर 32 खंभो  पर टिका है। यहां प्राप्त शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण ईस्वी सन्‌ 1030 में नागवंशीय नरेश सोमेश्वरदेव ने अपनी रानी के लिए करवाया था।

इतिहास


यहां के दो शिवालय में राजा और रानी शिव की अलग-अलग आराधना करते थे। दो गर्भगृह वाले इस मंदिर में दो शिवलिंग स्थापित हैं। किवदंती है कि राजा बलि से तीन पग जमीन मांगने के बाद भगवान विष्णु के वामन अवतार ने उसे पाताल में पहुंचा दिया था।


इसके बाद बलि पुत्र बाणासूर ने दंडकारण्य वनांचल में बाणासूरा नाम नई राजधानी बसाई थी। श्रीकृष्ण के पुत्र अनिरुद्घ के बाणासूरा प्रवेश के बाद से यहां का पतन शुरू हुआ। 895 वर्ष पुराने इस मंदिर का पुनर्निर्माण वर्ष 2003 में पुरातत्व विभाग द्वारा कराया गया था।


4x8 पंक्तियों में एकदम सावधानी से उकेरे गए बड़े बड़े पत्थर के स्तभों पर टिका हुआ है ये मंदिर। गर्भ गृह के बाहर सजा – धजा हुआ नंदी बैल, तो गर्भ गृह के अंदर एक अत्यंत सुन्दर अनदेखा सा शिवलिंग है।

शिवलिंग पत्थर का बना हुआ है और वो एक बड़े से मैकेनिकल सिस्टम पर टिका हुआ है। जैसे पन चक्की घूमती है पानी के गिरने से ठीक वैसे ही यह शिवलिंग भी घूमता है। और ये सारा पत्थर का बना हुआ है। यानि के कई सौ सालों से इसे घुमाया जा रहा था और ये घूम रहा है।

बत्तीसा मंदिर कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से : गीदाम से 16 किलोमीटर दूर  (गीदाम जगदलपुर से 80 किलोमीटर) भोपालपट्टणम के रास्ते पर स्थित है। रायपुर से लगभग 400 कि मी है। यहाँ जाने के लिए बस  और टैक्सी उपलब्ध है।

ट्रेन से : निकटतम रेलवे स्टेशन जगदलपुर रेलवे स्टेशन है।  यहाँ से बस और टैक्सी उपलब्ध है।

फ्लाइट से : जगदलपुर हवाई अड्डे से कार द्वारा 96 किमी।

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