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छत्तीसगढ़ त्यौहार : बैलों को धन्यवाद करने का त्यौहार पोला


पोला छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक त्यौहार है जो किसानो द्वारा मनाया जाता है।  यह खेती किसानी से जुड़ा पर्व है।पोला के दिन, किसान अपने बैलो को सजाते है और उनकी पूजा करते है तथा उन्हें खेती के कार्यो में सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं। यह पर्व मानसून के बाद बुवाई निंदाई के ख़त्म होने के बाद भाद्रपद (भादो आमतौर पर अगस्त या सितंबर) के महीने में पिथोरी अमावस्या (अमावस्या) के दिन मनाया जाता है।

धार्मिक मान्यता

ऐसी मान्यता है की बैल साल भर किसानो की किसानी कार्य में मदद करते है इसी वजह से बैलो को सजाकर उनकी पूजा करते है। पोला पर्व के पहले रात  को गर्भ पूजन करते है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन अन्न माता गर्भधारण करती है यानि धन के पौधों में दूध भरता है।  इसी कारण पोला के दिन किसी को भी खेतो में जाने की अनुमति नहीं होती।


पोला के दिन, बैल को पहले स्नान कराया जाता है, और फिर गहने और शॉल से सजाया जाता है। उनके सींग को रंगो से रंगा जाता है और उनकी गर्दन फूलों की मालाओं से सजाया जाता हैं। बैल उस दिन काम नहीं करते, और वे उत्सव का हिस्सा हैं, जहां किसान फसल के मौसम का जश्न मनाते हैं।


इस दिन बच्चे मिट्टी के बैल दौड़ाते है। ग्रामीण अंचल में बैल दौड़ का आयोजन किया जाता है। साथ ही कई प्रतिस्पर्धाओ का भी आयोजन किया जाता है।  

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